सुन ! आसमानी फ़ौज
शरीफ़
गाती
यीशु
की
तारी
फ़,
आई रहम की नि
दा, मिले अब इन्सान
खुदा
।
कौमों, उ
ठो, हो
शाद
मान
फ़लक से
मिला
ओ
गान,
तुम मुबारक
सब कहो
बैतलहम
के बच्चे को ।
सुन आसमानी फ़ौज शरीफ़,
गाती यीशु की तारीफ़ ।
जो महमूद आसमानों का जो माबूद ज़मानों का,
हो कुंवारी से मौलूद जिस्म में हुआ मौजूद,
वह मुजस्सम है कलाम, ऐ खुदा-इन्सान सलाम,
पहिना आदम का लिबास, है खुदा हमारे पास ।
शाह सलामती के आदाब तू, जो रास्ती का आफ़ताब,
सबको ज़िन्दगी और नूर, तू ही बख्शता है भरपूर,
खाली की सब अपनी शान, ता फिर न मरे इन्सान,
बनी आदम हों बुलन्द, दूसरे जन्म के फ़रज़न्द ।
कौमों की मुराद अब आ, हम में अपना घर बना,
उठ ऐ औरत की नसल, हममे सांप का सिर कुचल,
शकल आदम की मिटा, अपनी सूरत दे बिठा,
दूसरा आदम ऊपर से, अपनी उलफ़त से भर दे ।